Saturday, May 15, 2010

अपराधबोध !!!


अपराधबोध!!!

नन्हें कदमों की आहट सुनने का चाव...
अवयस्क बेटा,
अवयस्क बहू...
पर,
अपराधबोध नहीं...

चार माह बाद,
शायद ख़ुशखबरी?,
जाँच...
रिपोर्ट..
लड़की!

अपराधबोध!!!

बहू क्यों ढ़ोये?
अनावश्यक भार,
बहा दो,
दलदल

बहता हुआ अंश
दे रहा अपराधबोध
मगर
माँ चुप...

आखिर,
त्याग परम्परा है!

(-- : गिरिराज जोशी)

1 comment:

  1. Nice topic you have chosen for writing...My very good wishes are with you...

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