Thursday, May 20, 2010
कन्या भ्रूण हत्या
ठीक कुछ छः माह की
नव मैं इस धरा पर
आने को तत्पर
पर हाय दुर्भाग्य!
मै अबला, बला
परिवार के सदस्यों को
मेरे रिश्तेदारों को
ख़ुद पिता को
दादा-दादी को
नापसंद
मेरा तयशुदा अंत
कुविचार-विमर्श और डील
जल्लाद तैयार क्रुवर डील
रोती माँ क्षमादन माँगती मेरा
बेबस लाचार
दीन मुक़र्रर
अर्थी तैयार
मैं और माँ उस पार
चाकुओं-औज़ारो का मेला
हमारा कुछ पल का साथ अकेला
आती चिमटी पेरों पार मेरे
सहमती, जीवनदान
माँगती अकेली मैं
चीत्कार इस बार
भीषण दर्द पैर उस पार
बिलखती मैं
गर्भगृह का अंधकार
अंतरनाद
पुनः जकड़
पकड़-पकड़
अंग-अंग
भंग-भंग
मेरे आँसुओं से भीगता माँ का पेट
खींचता मेरा शरीर
टूटता नाभि का जुड़ाव
माँ और मेरा
अंतिम छुवन
उसकी घुटन
अब अंत एक द्वार
धरा के पार
माँ को प्रणाम
पिता को प्रणाम
जिन्होने छः माह का जीवन दिया
माँ केवल आपकी
प्यारी बिटिया
----(राहुल पाठक)
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