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____औरत
सारे घर को खिला देने के बाद
अपने लिये रोटियां कभी गोल नहीं बना पाती वह
ऐसा नहीं कि उसने कभी कोशिश नहीं की
पर रोटियां बेलते हुए उन्हें आकार देते हुए
उसे हर बार ये ध्यान आ जाता है कि
उसके कितने ही सपनों ने आकार खो दिये हैं
जिसे साकार करने की इच्छा तक व्यक्त नहीं कर पाती वह
तो क्या फर्क पडता है घर की भांति उसकी रोटियां
गोल हो या आकारहीन
जिन्दा रहने को बस पेट ही तो भरना है ___(ॠतु गोयल)